• सॉफ्टवेयर - उन प्रोग्रामों को कहा जाता है, जिनको हम हाईवेयर पर चलाते हैं।
• सॉफ्टवेयर के प्रकार - सिस्टम सॉफ्टवेयर, एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
• सिस्टम सॉफ्टवेयर - इनका काम सिस्टम अर्थात् कम्प्यूटर को चलाना तथा उसे काम करने लायक बनाए रखना है। सिस्टम सॉफ्टवेयर ही हार्डवेयर में जान डालता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्पाइलर आदि सिस्टम सॉफ्टवेयर के मुख्य भाग हैं।
• एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर - ऐसे प्रोग्राम जो हमारे असली कामों को करने के लिए लिखे जाते हैं। आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर होते हैं।
• इन्टरप्रेटर - इन्टरप्रेटर भी कम्पाइलर की भाँति कार्य करता है। अन्तर यह है कि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी भाषा में बदल देता है और इन्टरप्रेटर प्रोग्राम को मशीनी भाषा में बदल देता हैं ।
• सिंगर यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम - इसमें कम्प्यूटर पर एक समय में एक आदमी कर सकता है। के काम इस प्रकार ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्यत: पर्सनल कम्प्यूटरों में प्रयोग किए जाते हैं।
• कम्पाइलर - यह एक ऐसा प्रोग्राम है, जो किसी उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम का अनुवाद किसी कम्प्यूटर की मशीनी भाषा में कर देता है।
• मल्टीयूजर यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम - इस सिस्टम में एक समय में बहुत सारे व्यक्ति काम करते हैं और एक ही समय में विभिन्न कामों को करते हैं।
• मल्टी प्रोसेसिंग - एक से अधिक कार्य को प्रोसेसिंग के लिए सिस्टम पर एक से अधिक सी. पी.यू- रहते हैं। इस तकनीक को मल्टी प्रोसेसिंग कहते हैं। इनपुट, आउटपुट एवं प्रोसेसिंग तीनों कार्यों के मध्य समन्वय रहता हैं।
• मल्टी टास्किंग - मेमोरी में रखे एक से अधिक प्रक्रियाओं में परस्पर नियन्त्रण मल्टी टास्किंग कहलाता है। किसी प्रोग्राम से नियंत्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित कर ली जाती है। जब नियन्त्रण इस प्रोग्राम पर आता है। प्रोग्राम अपनी पूर्व अवस्था में रहता हैं ।
• कम्प्यूटर वायरस - वायरस कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़े रहते हैं और इसके माध्यम से कम्प्यूटरों में प्रवेश पाकर अपने उद्देश्य अर्थात् डाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने के उद्देश्य को पूरा करते हैं । अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथवा क्षत विक्षत कर देते हैं। वायरस दो प्रकार के होते है,बूट सेक्टर वायरस, फाइल वायरस।
• मल्टी प्रोग्रामिंग - एक ही समय पर दो से अधिक प्रक्रियाओं का एक-दूसरे पर प्रचालन होना मल्टी प्रोग्रामिंग कहलाता है। विशेष तकनीक के आधार पर सी.पी.यू. के द्वारा निर्णय लेते हैं । एक ही समय में सी.पी.यू. सभी प्रोग्राम को चलाता है।
• रियल टाइम - रियल टाइम ऑपरेटिंग की प्रक्रिया बहुत ही तीव्र गति से होती है। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग तब किया जाता हैं ।
• कैरेक्टर यूजर इंटरफेस - जब उपयोग कर्ता सिस्टम के साथ कैरेक्टर के द्वारा सूचना देता है तो इस ऑपरेटिंग सिस्टम को कैरेक्टर यूजर इंटरफेस कहते हैं। उदाहरण-डॉस, यूनिक्स।
• मल्टी थ्रेडिंग - यह मल्टी टॉस्किंग का ही रूप है। यह एक से अधिक थ्रेड एक ही समय में चलाता है। उदाहरण के लिए एक स्प्रेडशीट लम्बी गणना उस समय कर लेता है, जिस समय यूजर आंकड़े डालता है।
• मल्टी टॉस्किंग - मेमोरी में रखे एक से अधिक प्रक्रियाओं में परस्पर नियन्त्रण मल्टी टॉस्किंग कहलाता है। किसी प्रोग्राम से नियन्त्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित कर ली जाती है। नियन्त्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित ली जाती है । जब नियंत्रण इस प्रोग्राम पर आता है प्रोग्राम अपनी पूर्व अवस्था में रहता है।
• सिस्टम सॉफ्टवेयर - इनका काम सिस्टम अर्थात् कम्प्यूटर को चलाना तथा उसे काम करने लायक बनाए रखना है। सिस्टम सॉफ्टवेयर ही हार्डवेयर में जान डालता है। ऑपरेटिंग सिस्टम कम्पाइलर आदि सिस्टम सॉफ्टवेयर के मुख्य भाग हैं।
• एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर - ऐसे प्रोग्राम जो हमारे असली कामों को करने के लिए लिखे जाते हैं। आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर होते हैं।
• इन्टरप्रेटर - इन्टरप्रेटर भी कम्पाइलर की भाँति कार्य करता है। अन्तर यह है कि कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को एक साथ मशीनी भाषा में बदल देता है और इन्टरप्रेटर प्रोग्राम को मशीनी भाषा में बदल देता हैं ।
• सिंगर यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम - इसमें कम्प्यूटर पर एक समय में एक आदमी कर सकता है। के काम इस प्रकार ऑपरेटिंग सिस्टम मुख्यत: पर्सनल कम्प्यूटरों में प्रयोग किए जाते हैं।
• कम्पाइलर - यह एक ऐसा प्रोग्राम है, जो किसी उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गए प्रोग्राम का अनुवाद किसी कम्प्यूटर की मशीनी भाषा में कर देता है।
• मल्टीयूजर यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम - इस सिस्टम में एक समय में बहुत सारे व्यक्ति काम करते हैं और एक ही समय में विभिन्न कामों को करते हैं।
• मल्टी प्रोसेसिंग - एक से अधिक कार्य को प्रोसेसिंग के लिए सिस्टम पर एक से अधिक सी. पी.यू- रहते हैं। इस तकनीक को मल्टी प्रोसेसिंग कहते हैं। इनपुट, आउटपुट एवं प्रोसेसिंग तीनों कार्यों के मध्य समन्वय रहता हैं।
• मल्टी टास्किंग - मेमोरी में रखे एक से अधिक प्रक्रियाओं में परस्पर नियन्त्रण मल्टी टास्किंग कहलाता है। किसी प्रोग्राम से नियंत्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित कर ली जाती है। जब नियन्त्रण इस प्रोग्राम पर आता है। प्रोग्राम अपनी पूर्व अवस्था में रहता हैं ।
• कम्प्यूटर वायरस - वायरस कम्प्यूटर प्रोग्राम के साथ जुड़े रहते हैं और इसके माध्यम से कम्प्यूटरों में प्रवेश पाकर अपने उद्देश्य अर्थात् डाटा और प्रोग्राम को नष्ट करने के उद्देश्य को पूरा करते हैं । अपने संक्रमणकारी प्रभाव से ये सम्पर्क में आने वाले सभी प्रोग्रामों को प्रभावित कर नष्ट अथवा क्षत विक्षत कर देते हैं। वायरस दो प्रकार के होते है,बूट सेक्टर वायरस, फाइल वायरस।
• मल्टी प्रोग्रामिंग - एक ही समय पर दो से अधिक प्रक्रियाओं का एक-दूसरे पर प्रचालन होना मल्टी प्रोग्रामिंग कहलाता है। विशेष तकनीक के आधार पर सी.पी.यू. के द्वारा निर्णय लेते हैं । एक ही समय में सी.पी.यू. सभी प्रोग्राम को चलाता है।
• रियल टाइम - रियल टाइम ऑपरेटिंग की प्रक्रिया बहुत ही तीव्र गति से होती है। रियल टाइम ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग तब किया जाता हैं ।
• कैरेक्टर यूजर इंटरफेस - जब उपयोग कर्ता सिस्टम के साथ कैरेक्टर के द्वारा सूचना देता है तो इस ऑपरेटिंग सिस्टम को कैरेक्टर यूजर इंटरफेस कहते हैं। उदाहरण-डॉस, यूनिक्स।
• मल्टी थ्रेडिंग - यह मल्टी टॉस्किंग का ही रूप है। यह एक से अधिक थ्रेड एक ही समय में चलाता है। उदाहरण के लिए एक स्प्रेडशीट लम्बी गणना उस समय कर लेता है, जिस समय यूजर आंकड़े डालता है।
• मल्टी टॉस्किंग - मेमोरी में रखे एक से अधिक प्रक्रियाओं में परस्पर नियन्त्रण मल्टी टॉस्किंग कहलाता है। किसी प्रोग्राम से नियन्त्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित कर ली जाती है। नियन्त्रण हटाने से पहले उसकी पूर्व दशा सुरक्षित ली जाती है । जब नियंत्रण इस प्रोग्राम पर आता है प्रोग्राम अपनी पूर्व अवस्था में रहता है।
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