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Friday, 5 January 2018

मानक भाषा के स्वरूप और लक्षण

मानक भाषा  :- भाषा के माध्यम से अपनी बात ,भावो और भावनावों को प्रस्तुत करते हैं । भाषा भावों को प्रस्तुत करने का साधन हैं , भाषा सब्द की उत्पत्ति संस्कृति की भाष धातु से हुई हैं , जिनका अर्थ वाणी प्रकट करना । भाषा कई प्रकार की होती हैं , जिससे हम अपनी वाणी को प्रकट हैं ।

          मानक रूप का ज्ञान जांच करने के काम आता है। मानक शब्द-रूपों और वाक्य-रचना का निर्धारण करके स्थिरता आती है। आदर्श स्थिति में एक सब्द का एक उच्चारण एक ही वव्याकरणिक ढांचा होता हैं । वाक्य को दूसरे तक  पहुंचाने में सरल होती हैं । लोगों को  समझने मे आसान होती हैं । 

         इस प्रकार श्यामसुंदर दास  ने कहा - " मनुष्य और मनुष्य के बीच  वस्तुओं  के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान प्रदान करने में ध्वनि  संकेतों का जो माध्यम होता है , जिसे भाषा हैं । ''

        इस प्रकार हैं कि ''भाषा ध्वनि संकेतों में प्रयोग  से विचारों को आदान प्रदान का माध्यम हैं ।

हिंदी भाषा का विकास  : -  हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा  से हुई हैं । 500 ई. पू. के मध्य शाहित्यिकों ने संस्कृत के कठोर व्याकरणिक नियमो को त्याग कर उस  समय की  लोकभाषा प्राकृत को अपनाया । प्राकृत भाषा से अपभ्रंश  नामक  लोकभाषा  का   विकास हुआ । हिंदी ,पंजाबी ,गुजराती , मराठी  ,उड़िया , बंगला आदि भाषाओ  का विकास  इसी अपभ्रंश  भाषा से हुआ । धीरे धीरे अपभ्रंश  का ह्रास होने लगा तथा हिंदी भाषा का विकास हुआ , हिंदी  भाषा का प्रचार हुआ ।  हिंदी को भाषा का स्वरूप मानते है , जिसे संविधान में राजभाषा के रूप में माना हैं । हिंदी भारत की मातृभाषा  हैं  ।

स्वरूप तथा लक्षण - हिंदी भाषा को मानक भाषा कहते है । किसी भाषा  को मानक रूप में प्रयोग तभी करते हैं , जब उसकी प्रकृति से परिचित हों । भाषा की प्रकृति से हमारा  तात्पर्य  उसके शब्द - भंडार  , शब्द  - निर्माण  , वाक्य  विन्यांश , भाव - व्यंजन , शैली  मुहावरे आदि से हैं  । इससे  आशय  है  कि सर्वप्रथम  उस भाषा  की  वर्णमाला  का ज्ञान होना चाहिए  अर्थात  हम  उसकी  वर्णमाला   के प्रत्येक अक्षरों की ठीक ध्वनि से परिचित  हों और हमें यह भी ज्ञान होना चाहिए । जो ध्वनियाँ भाषा की वर्णमाला में नहीं हैं , उन्हें उस भाषा में किस प्रकार प्रकट किया जाता हैं । हिंदी में ए,ऐ,ड़ ,ण,व ,ब,ष,स आदि अक्षरों का समूह हैं , जिसकी ध्वनियों का ज्ञान होने पर ही इनका प्रयोग किया जाता हैं । शब्द निर्माण में हमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और इच्छानुसार  नए शब्दो  का निर्माण न करे , विभिन्न भाषाओ के सब्दो से सही शब्दो के निर्माण की । प्रकृति ने हिंदी के स्वरूप को प्रसिद्ध कर दिया हैं ।आज युग में हिंदी भाषा बहुत प्रचलित हैं ।

भाषा के मानक लक्षण  है -

(1 ) पद -विन्यास सही हो तथा वाक्य में शब्दो का क्रम व्याकरण के नियम अनुसार हो ।

(2 ) भाषा के सही शब्दो का ही प्रयोग किया जाए ।

(3 ) निरर्थक अथवा व्यर्थ शब्दो का प्रयोग न करें ।

(4 ) शब्दो को बोझिल न बनाया जाए ।

भाषा का प्रयोग : -  भाषा  का प्रयोग हम  हर जगह करते हैं । भाषा का प्रयोग हम दो प्रकार से है , बोल कर और लिख कर । दैनिक व्यवहार में बोल कर हैं । पत्र -लेखन ,समाचार -लेखन  ,पुस्तक -लेखन , तथा कार्यालयों  में इसका प्रयोग लिखित होता हैं । भाषा के प्रयोग के बीना कार्य पूरा नहीं होता हैं । 

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