• वर्तमान में जीवन को प्रभावित करने वाला सबसे बड़ा धन दूरसंचार है। उसका उपयोग वाणिज्य, उद्योग तथा आर्थिक विधियों में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। दूरसंचार के माध्यम इस में विश्व एक-दूसरे के बहुत नजदीक आ खड़ा हुआ है।
• पहले दूर स्थित दो स्थानों के बीच संचार का सबसे पुराना सरोका टेलीग्राफ था।
• वर्ष 1876 में अलेक्जैन्डर ग्राहम बेल ने टेलीफोन आविष्कार किया जिससे मनुष्य की आवाज का एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रसारण संभव हो सका।
• बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ के समय मारकोनी द्वारा बेतार तकनीक की खोज के पश्चात् संचार तकनीकों में आंदोलनकारी परिवर्तन हुए। प्रसारक व ग्राहक सिरों को अब तारों से जोड़ना आवश्यक न रहा।
• विद्युत् चुम्बकीय तरंगें जिनकी खोज मैक्सवेल ने 1873 में की थी, के उपयोग से एक स्थान से दूसरे स्थान तक सूचना संदेश भेजना संभव हो सका।
• भू-स्थिर (जियास्टेशनरी) उपग्रह भूमि से 3600 किमी की ऊँचाई पर स्थित होते हैं तथा पृथ्वी के किसी भी स्थान से देखने पर इनकी स्थिति स्थिर बनी रहती है।
• भारत के इंसेट (Inset) श्रृंखला के उपग्रह भी भू-स्थिर उपग्रह होता हैं। भारत के विभिन्न नगरों के बीच टेलीफोन व टेलेक्स को स्थापित में सहायता मिलती है।।
• वर्तमान समय में सम्पूर्ण अंतराष्ट्रीय दूरसंचार उपग्रहों पर निर्भर हो गया है साथ ही पूरे भारतीय महाद्वीप में रेडियो व टेलीविजन भी उपग्रह प्रौद्योगिकी के द्वारा ही जुड़ा हुआ है।
• कम्प्यूटरों के बृहत्तर जाल लार्ज एरिया नेटवर्क (एल.ए.एन.) से ही रेलवे व एअरलाइन्स में सुदूर स्थानों के बीच आरक्षण सुदूर स्थित बैंकों की सेवायें तथा मौसम से संबंधित आँकड़ों का संग्रहण व आकलन संभव हुआ है।
• भारत में कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच 1851 में प्रथम के प्रारम्भ होने दूरसंचार सेवाओं टेलीग्राफ सेवा के साथ का शुभारम्भ हुआ।
• मार्च, 1884 तक आगरा से तक टेलीग्राफ कोलकाता संदेश पहुंचने लगे थे। भारतीय रेलवे में 1990 में टेलीग्राफ तथा टेलीफोन सेवाएँ उपलब्ध कराई गई, जबकि टेलीफोन सेवा का आरंभ कोलकाता में 1881-82 में हो चुका था।
• भारत के प्रथम स्वचालित टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना शिमला में 1913-14 में हुई थी। यह 700 लाइनों वाली थी।
• वहाँ भी ध्वनि और soundless दूरसंचार सेवाएं, फैक्स, मोबाइल, रेडियो पेजिंग और लॉग लाइन सेवाओं रहे हैं
• दूरस्थ रिमोट माइक्रोवेव उपग्रह संचार नेटवर्क से कनेक्ट
दूरसंचार हेतु उपयोगी माध्यम
• दूरसंचार आज बहुत जरुरी हो गया है।आज हम कितना भी दूर रहे कही भी किसी से भी बात कर सकते है। इसकी दूरी कई किलो मीटर हो सकती है। दूरसंचार के लिए कई संचार चैनल का उपयोग होता है। उनके पास निम्न हैं:-
1. रेडियो और माइक्रो वेब तरंग
2. उपग्रह संचार प्रणाली
3. प्रकाश तंतु (Optical Fibre)
4. जलगर्भिय संचार प्रणाली
5. कॉपर केबल
1. रेडियो और माइक्रोवेब तरंग
• रेडियो संचार माध्यम का प्रयोग समाचार, संगीत और संदेशों को दूसरे स्थानों तक भेजते है।
• इस प्रक्रम में रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है। यह एक प्रकार को विद्युत चुंबकीय तरंगें होती हैं जो मूल रूप से एक विशेष परिपथ में उत्पन्न की जाती हैं।
(1) संचारक (Transmitter) - रेडियो तरंगों को उत्पन्न कर रेडियो सेट तक भेजता है तथा ध्वनि संदेशों को विद्युत धारा में परिवर्तित करके कैरियर तरंगों के साथ भेजता है।
(2) संग्रहक (Receiver) - यह रेडियो सेट होता है, जो रेडियो तरंगों को ध्वनि तरंगों में परिवर्तित करके वास्तविक आवाज पैदा करता है।
• रेडियो प्रसारण में प्रयोग होने वाले तरंगों की आवृत्ति 150 किलो हार्ट्स से 30,000 मेगा हर्ट तक होती है।
• जिन तरंगों का तरंगदैर्य बहुत कम होता है उन्हें सक्षम तरंग (Micro wave) कहते हैं। इन तरंगों की आवृत्ति स्पेक्ट्रम से गीगा हर्ट्सर्ज से 1,000 गीगा हट्र्ज तक होती है।
2 उपग्रह संचार प्रणाली
• भारत जैसी भौगोलिक संरचना वाले देशों में दूरस्थ एवं दुर्गम एवं दुर्गम क्षेत्रों तक संचार माध्यम हेतु केबल लाइन ले । एक दुष्कर कार्य ऐसी जगहों पर दूरसंचार की सुविधा उपलब्ध कराने में उपग्रह संचार प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
• उपग्रह के माध्यम से संचार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला उपकरण ट्रांसपोंडर(Transponder) है।
• ट्रांसपोंडर विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्राप्त करता है तथा उनका प्रसंस्करण (Processingकरके आवृत्ति परिवर्तन (Down Convert) करता है। ट्रांसपोंडर का कार्य इन डाउन लिंक तरंगों को पृथ्वी की दिशा में संचारित करना है।
• भारत में उपयोग में लाने वाले ट्रांसपोंडर तीन प्रकार के है -
(i) उच्च आवृत्ति का के.यू-बैंड ट्रांसपोंडर (Ku-Band Transponder)
(ii) निम्न आवृत्ति का एस-बैंड ट्रांसपोंडर (S-Band Transponder)
(iii) मध्यम आवृत्ति का सी-बैंड ट्रांसपोंडर (C-Band Transponder)
• एस तथा सी बैंड का उपयोग सभी भू-स्थैतिक (Geo Stationary) उपग्रह में हुआ है।
• भारत द्वारा उपग्रह आधारित मोबाइल संचार प्रणाली तथा व्यापारिक संचार प्रणाली की कार्य क्षमता में पर्याप्त वृद्धि करने के उद्देश्य से मार्च, 2000 में इनसेट-3 बी संचार उपग्रह का प्रक्षेपण ने किया गया।
• इनसेट-3 बी में उपकरण प्रसारण और दूरसंचार के लिए विशेष तौर पर कुछ अतिरिक्त उपकरण जैसे-12 सी-बैंड ट्रांसपोंडर, 3 के.यू.-बैंड ट्रांसपोंडर लगाय गए है।
• टेलीविजन के सैंकड़ों ट्रांसपोंडर इनसेट से जुड़े हैं, जिनके परिणाम स्वरूप इनसेट का टेलीविजन नेटवर्क भारत के 85℅ से अधिक जनसंख्या तक अपने कार्यकमों को पहुँचता है।
• प्राकृतिक विपदाओं ले कारण संचार व्यवस्था भंग होने की स्थिति में इनसेट के माध्यम से ट्रांस्पोर्टेबल टर्मिनल का प्रयोग करके आपातकालीन संचार सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है।
• इस परियोजना के लिए 833 छोटे (SAT) तथा मल्टी एक्सेस रेडियो टेलीफोन लगाए योजना से नई दिल्ली को देश के अन्य राज्यों से जोड़ा है। राज्यों में जिला मुख्यालयों एवं पुलिस थानों को जोड़ा है।
3. प्रकाश तंतु
• इसके अंतर्गत प्रकाश तंतु संचार प्रणाली का प्रयोग करके मनुष्य की आवाज, टेलीविजन के चित्रों तथा कम्प्यूटर के आंकड़ों को सरलता व सुविधापूर्वक संचारित एवं संग्रहीत किया जा सकता है।
• प्रकाश तंतु एवं शक्तिशाली प्रकाश पुंज में केबल का प्रयोग करके प्रकाश तंतु दूरसंचार सेवा की शुरुआत की गई। किसी भी सूचना या संदेश को ध्वनि ऊर्जा से प्रकाश में परिवर्तित किया।
• भारत में पहली प्रकाश तंतु संचार व्यवस्था पुणे में शिवाजी नगर और कंटोनमेंट केन्द्र को जोड़ने के लिए 1979 में स्थापित की गई थी।
• टेलीफोन के 120 चैनल प्रदान करने वाले इस प्रकाश तंतु का आयात जापान से किया गया था।
• दिल्ली टेलीकम्यूनिकेशन अनुसंधान केन्द्र ने 120 टेलीफोन चैनल सिस्टम के लिए टर्मिनल उपकरण विकसित किया है। दूरसंचार प्रणालियों के लिए प्रकाश तंतु का उत्पादन करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है।
• पिलानी स्थित केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिक्स अभियांत्रिकी संस्थान ने संदेशों के प्राप्तकर्ता छोर पर, प्रकाशपुंज (लेसर) पल्स को छांटकर पुन: संदेशों में बदलने के लिए सिलिकॉन एब्लेंसी उपकरण का विकास किया है।
4. जलगर्भीय संचार प्रणाली
•अंतर्राष्ट्रीय संचार क्षेत्र में उपग्रहों पर निर्भरता कुछ को कम करने के के उद्देश्य से भारत ने 18 अक्टूबर, 1994 को हिन्द महासागर में प्रथम जलगभय संचार प्रणाली की शुरुआत की।
सेलुलर टेलीफोन सेवा
(Cellular Telephone Service)
• सेलुलर शब्द का उद्भव अंग्रेजी के सेल (Cel) शब्द से हुआ है।
• सेलुलर फोन में इन्हीं सेलों के माध्यम से संदेशों को स्थानान्तरित किया जाता है अर्थात् समीपस्थ जुड़े सेलों के माध्यम से संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचता है।
• भारत में सेलुलर फोन सेवा के लिए विश्व की आधुनिकतम प्रौद्योगिकी ग्लोबल सिस्टम फोर मोबाइली कम्युनिकेशन (GSMCका प्रयोग किया जा रहा है।
• इस तकनीक में डिजिटल कम्प्यूटर प्रणाली का प्रयोग किया जाता है तथा दो उपभोक्ताओं के मध्य हो रही वार्तालाप की ध्वनि को डिजिटल इकाइयों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
• जी.एस.एम. संचार प्रणाली 200 किलो हर्टज आवृत्ति के अंतर के साथ 900 मेगा हट्रेज बैण्ड पर कार्य करती है।
• भारत में सेलुलर टेलीफोन सेवा दो चरणों में शुरू की गई। प्रथम चरण में चारों महानगरों को लिया गया और उसके बाद द्वितीय चरण में प्रादेशिक दूरसंचार वृत्तों (सर्किलोंको लिया गया।
• सितंबर, 1995 में दिल्ली में भारत सेलुलर लिमिटेड द्वारा सेलुलर टेलीफोन सेवा शुरू कि गई।
• सेलुलर फोन से जुड़ने वाले प्रत्येक उपभोक्ता को सिम कार्ड (SubscriberldentiyModulecard-SIMCar ) दिया जाता है, जिसमें एक कम्प्यूटर चिप होती है।
• सन् 2000 के अंत तक भारत में इंटरनेट सर्फिग की सुविधा सेलुलर फोन की स्क्रीन पर उपलब्ध हो गयी। इसे संभव बनाने वाली प्रौद्योगिकी वायरलेस एक्सेस प्रोटोकॉल' (WAP) है।
• पहले दूर स्थित दो स्थानों के बीच संचार का सबसे पुराना सरोका टेलीग्राफ था।
• वर्ष 1876 में अलेक्जैन्डर ग्राहम बेल ने टेलीफोन आविष्कार किया जिससे मनुष्य की आवाज का एक स्थान से दूसरे स्थान तक प्रसारण संभव हो सका।
• बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ के समय मारकोनी द्वारा बेतार तकनीक की खोज के पश्चात् संचार तकनीकों में आंदोलनकारी परिवर्तन हुए। प्रसारक व ग्राहक सिरों को अब तारों से जोड़ना आवश्यक न रहा।
• विद्युत् चुम्बकीय तरंगें जिनकी खोज मैक्सवेल ने 1873 में की थी, के उपयोग से एक स्थान से दूसरे स्थान तक सूचना संदेश भेजना संभव हो सका।
• भू-स्थिर (जियास्टेशनरी) उपग्रह भूमि से 3600 किमी की ऊँचाई पर स्थित होते हैं तथा पृथ्वी के किसी भी स्थान से देखने पर इनकी स्थिति स्थिर बनी रहती है।
• भारत के इंसेट (Inset) श्रृंखला के उपग्रह भी भू-स्थिर उपग्रह होता हैं। भारत के विभिन्न नगरों के बीच टेलीफोन व टेलेक्स को स्थापित में सहायता मिलती है।।
• वर्तमान समय में सम्पूर्ण अंतराष्ट्रीय दूरसंचार उपग्रहों पर निर्भर हो गया है साथ ही पूरे भारतीय महाद्वीप में रेडियो व टेलीविजन भी उपग्रह प्रौद्योगिकी के द्वारा ही जुड़ा हुआ है।
• कम्प्यूटरों के बृहत्तर जाल लार्ज एरिया नेटवर्क (एल.ए.एन.) से ही रेलवे व एअरलाइन्स में सुदूर स्थानों के बीच आरक्षण सुदूर स्थित बैंकों की सेवायें तथा मौसम से संबंधित आँकड़ों का संग्रहण व आकलन संभव हुआ है।
• भारत में कोलकाता और डायमंड हार्बर के बीच 1851 में प्रथम के प्रारम्भ होने दूरसंचार सेवाओं टेलीग्राफ सेवा के साथ का शुभारम्भ हुआ।
• मार्च, 1884 तक आगरा से तक टेलीग्राफ कोलकाता संदेश पहुंचने लगे थे। भारतीय रेलवे में 1990 में टेलीग्राफ तथा टेलीफोन सेवाएँ उपलब्ध कराई गई, जबकि टेलीफोन सेवा का आरंभ कोलकाता में 1881-82 में हो चुका था।
• भारत के प्रथम स्वचालित टेलीफोन एक्सचेंज की स्थापना शिमला में 1913-14 में हुई थी। यह 700 लाइनों वाली थी।
• वहाँ भी ध्वनि और soundless दूरसंचार सेवाएं, फैक्स, मोबाइल, रेडियो पेजिंग और लॉग लाइन सेवाओं रहे हैं
• दूरस्थ रिमोट माइक्रोवेव उपग्रह संचार नेटवर्क से कनेक्ट
• दूरसंचार आज बहुत जरुरी हो गया है।आज हम कितना भी दूर रहे कही भी किसी से भी बात कर सकते है। इसकी दूरी कई किलो मीटर हो सकती है। दूरसंचार के लिए कई संचार चैनल का उपयोग होता है। उनके पास निम्न हैं:-
1. रेडियो और माइक्रो वेब तरंग
2. उपग्रह संचार प्रणाली
3. प्रकाश तंतु (Optical Fibre)
4. जलगर्भिय संचार प्रणाली
5. कॉपर केबल
1. रेडियो और माइक्रोवेब तरंग
• रेडियो संचार माध्यम का प्रयोग समाचार, संगीत और संदेशों को दूसरे स्थानों तक भेजते है।
• इस प्रक्रम में रेडियो तरंगों का प्रयोग किया जाता है। यह एक प्रकार को विद्युत चुंबकीय तरंगें होती हैं जो मूल रूप से एक विशेष परिपथ में उत्पन्न की जाती हैं।
(1) संचारक (Transmitter) - रेडियो तरंगों को उत्पन्न कर रेडियो सेट तक भेजता है तथा ध्वनि संदेशों को विद्युत धारा में परिवर्तित करके कैरियर तरंगों के साथ भेजता है।
(2) संग्रहक (Receiver) - यह रेडियो सेट होता है, जो रेडियो तरंगों को ध्वनि तरंगों में परिवर्तित करके वास्तविक आवाज पैदा करता है।
• रेडियो प्रसारण में प्रयोग होने वाले तरंगों की आवृत्ति 150 किलो हार्ट्स से 30,000 मेगा हर्ट तक होती है।
• जिन तरंगों का तरंगदैर्य बहुत कम होता है उन्हें सक्षम तरंग (Micro wave) कहते हैं। इन तरंगों की आवृत्ति स्पेक्ट्रम से गीगा हर्ट्सर्ज से 1,000 गीगा हट्र्ज तक होती है।
2 उपग्रह संचार प्रणाली
• भारत जैसी भौगोलिक संरचना वाले देशों में दूरस्थ एवं दुर्गम एवं दुर्गम क्षेत्रों तक संचार माध्यम हेतु केबल लाइन ले । एक दुष्कर कार्य ऐसी जगहों पर दूरसंचार की सुविधा उपलब्ध कराने में उपग्रह संचार प्रणाली की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
• उपग्रह के माध्यम से संचार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला उपकरण ट्रांसपोंडर(Transponder) है।
• ट्रांसपोंडर विद्युत चुम्बकीय तरंगों को प्राप्त करता है तथा उनका प्रसंस्करण (Processingकरके आवृत्ति परिवर्तन (Down Convert) करता है। ट्रांसपोंडर का कार्य इन डाउन लिंक तरंगों को पृथ्वी की दिशा में संचारित करना है।
• भारत में उपयोग में लाने वाले ट्रांसपोंडर तीन प्रकार के है -
(i) उच्च आवृत्ति का के.यू-बैंड ट्रांसपोंडर (Ku-Band Transponder)
(ii) निम्न आवृत्ति का एस-बैंड ट्रांसपोंडर (S-Band Transponder)
(iii) मध्यम आवृत्ति का सी-बैंड ट्रांसपोंडर (C-Band Transponder)
• एस तथा सी बैंड का उपयोग सभी भू-स्थैतिक (Geo Stationary) उपग्रह में हुआ है।
• भारत द्वारा उपग्रह आधारित मोबाइल संचार प्रणाली तथा व्यापारिक संचार प्रणाली की कार्य क्षमता में पर्याप्त वृद्धि करने के उद्देश्य से मार्च, 2000 में इनसेट-3 बी संचार उपग्रह का प्रक्षेपण ने किया गया।
• इनसेट-3 बी में उपकरण प्रसारण और दूरसंचार के लिए विशेष तौर पर कुछ अतिरिक्त उपकरण जैसे-12 सी-बैंड ट्रांसपोंडर, 3 के.यू.-बैंड ट्रांसपोंडर लगाय गए है।
• टेलीविजन के सैंकड़ों ट्रांसपोंडर इनसेट से जुड़े हैं, जिनके परिणाम स्वरूप इनसेट का टेलीविजन नेटवर्क भारत के 85℅ से अधिक जनसंख्या तक अपने कार्यकमों को पहुँचता है।
• प्राकृतिक विपदाओं ले कारण संचार व्यवस्था भंग होने की स्थिति में इनसेट के माध्यम से ट्रांस्पोर्टेबल टर्मिनल का प्रयोग करके आपातकालीन संचार सुविधायें उपलब्ध कराई जाती है।
• इस परियोजना के लिए 833 छोटे (SAT) तथा मल्टी एक्सेस रेडियो टेलीफोन लगाए योजना से नई दिल्ली को देश के अन्य राज्यों से जोड़ा है। राज्यों में जिला मुख्यालयों एवं पुलिस थानों को जोड़ा है।
3. प्रकाश तंतु
• इसके अंतर्गत प्रकाश तंतु संचार प्रणाली का प्रयोग करके मनुष्य की आवाज, टेलीविजन के चित्रों तथा कम्प्यूटर के आंकड़ों को सरलता व सुविधापूर्वक संचारित एवं संग्रहीत किया जा सकता है।
• प्रकाश तंतु एवं शक्तिशाली प्रकाश पुंज में केबल का प्रयोग करके प्रकाश तंतु दूरसंचार सेवा की शुरुआत की गई। किसी भी सूचना या संदेश को ध्वनि ऊर्जा से प्रकाश में परिवर्तित किया।
• भारत में पहली प्रकाश तंतु संचार व्यवस्था पुणे में शिवाजी नगर और कंटोनमेंट केन्द्र को जोड़ने के लिए 1979 में स्थापित की गई थी।
• टेलीफोन के 120 चैनल प्रदान करने वाले इस प्रकाश तंतु का आयात जापान से किया गया था।
• दिल्ली टेलीकम्यूनिकेशन अनुसंधान केन्द्र ने 120 टेलीफोन चैनल सिस्टम के लिए टर्मिनल उपकरण विकसित किया है। दूरसंचार प्रणालियों के लिए प्रकाश तंतु का उत्पादन करने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है।
• पिलानी स्थित केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिक्स अभियांत्रिकी संस्थान ने संदेशों के प्राप्तकर्ता छोर पर, प्रकाशपुंज (लेसर) पल्स को छांटकर पुन: संदेशों में बदलने के लिए सिलिकॉन एब्लेंसी उपकरण का विकास किया है।
4. जलगर्भीय संचार प्रणाली
•अंतर्राष्ट्रीय संचार क्षेत्र में उपग्रहों पर निर्भरता कुछ को कम करने के के उद्देश्य से भारत ने 18 अक्टूबर, 1994 को हिन्द महासागर में प्रथम जलगभय संचार प्रणाली की शुरुआत की।
सेलुलर टेलीफोन सेवा
(Cellular Telephone Service)
• सेलुलर शब्द का उद्भव अंग्रेजी के सेल (Cel) शब्द से हुआ है।
• सेलुलर फोन में इन्हीं सेलों के माध्यम से संदेशों को स्थानान्तरित किया जाता है अर्थात् समीपस्थ जुड़े सेलों के माध्यम से संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचता है।
• भारत में सेलुलर फोन सेवा के लिए विश्व की आधुनिकतम प्रौद्योगिकी ग्लोबल सिस्टम फोर मोबाइली कम्युनिकेशन (GSMCका प्रयोग किया जा रहा है।
• इस तकनीक में डिजिटल कम्प्यूटर प्रणाली का प्रयोग किया जाता है तथा दो उपभोक्ताओं के मध्य हो रही वार्तालाप की ध्वनि को डिजिटल इकाइयों में परिवर्तित कर दिया जाता है।
• जी.एस.एम. संचार प्रणाली 200 किलो हर्टज आवृत्ति के अंतर के साथ 900 मेगा हट्रेज बैण्ड पर कार्य करती है।
• भारत में सेलुलर टेलीफोन सेवा दो चरणों में शुरू की गई। प्रथम चरण में चारों महानगरों को लिया गया और उसके बाद द्वितीय चरण में प्रादेशिक दूरसंचार वृत्तों (सर्किलोंको लिया गया।
• सितंबर, 1995 में दिल्ली में भारत सेलुलर लिमिटेड द्वारा सेलुलर टेलीफोन सेवा शुरू कि गई।
• सेलुलर फोन से जुड़ने वाले प्रत्येक उपभोक्ता को सिम कार्ड (SubscriberldentiyModulecard-SIMCar ) दिया जाता है, जिसमें एक कम्प्यूटर चिप होती है।
• सन् 2000 के अंत तक भारत में इंटरनेट सर्फिग की सुविधा सेलुलर फोन की स्क्रीन पर उपलब्ध हो गयी। इसे संभव बनाने वाली प्रौद्योगिकी वायरलेस एक्सेस प्रोटोकॉल' (WAP) है।
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